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हिन्दी भक्ति गीत, भजन, कीर्तन, आरती, चालीसा - शब्द एवं गान : bhajans.ramparivar.com Hindi Bhakti Geet, Bhajan, Kirtan, Arati and Chalisa with MP3 audio and youtube video (written/composed/sung by and favorites of Shri Ram Parivar - our family and friends) Bhajan Index भजन सूची नये भजन बुधवार, मई 30, 2018 भजन: राम भजा सो जीता जग में Bhajan: Ram Bhaja so Jeeta Jag Me Listen to the bhajan sung by Shri V N Shrivastav 'Bhola' राम भजा सो जीता जग में, राम भजा सो जीता रे। हृदय शुद्ध नही कीन्हों मूरख, कहत सुनत दिन बीता रे। राम भजा सो जीता जग में ... हाथ सुमिरनी, पेट कतरनी, पढ़ै भागवत गीता रे। हिरदय सुद्ध किया नहीं बौरे, कहत सुनत दिन बीता रे। राम भजा सो जीता जग में ... और देव की पूजा कीन्ही, हरि सों रहा अमीता रे। धन जौबन तेरा यहीं रहेगा, अंत समय चल रीता रे। राम भजा सो जीता जग में ... बाँवरिया बन में फंद रोपै, संग में फिरै निचीता रे। कहे 'कबीर' काल यों मारे, जैसे मृग कौ चीता रे। राम भजा सो जीता जग में ... कोई टिप्पणी नहीं: इसे ईमेल करें इसे ब्लॉग करें! Twitter पर शेयर करें Facebook पर शेयर करें Pinterest पर शेयर करें Labels: भोला भैया , MP3 , VNS Bhola रविवार, मई 20, 2018 Sai Bhajan: ये सब तुम्हारी मैहर है बाबा Listen to VNS 'Bhola' teaching the bhajan to Prarthana & Chhavi. ये सब तुम्हारी मैहर है प्यारे, ये सब तुम्हारी मैहर है बाबा, कि अब भी महफिल जमी हुई है । जहाँ भी देखूँ जिधर भी देखूँ, तुम्हारी मूरत/सूरत पड़े दिखाई । यहाँ के हर शय में प्यारे बाबा, तुम्हारी ख़ुशबू भरी हुई है ॥ ये सब तुम्हारी मैहर है बाबा, कि अब भी महफिल जमी हुई है । जो आँख मूदूँ तो यूँ लगे ज्योँ, तू पास में ही खड़ा हुआ है । ज़मीं से अम्बर तलक फि़ज़ा ये, तेरे ही रंग में रंगी हुई है ॥ ये सब तुम्हारी मैहर है बाबा, कि अब भी महफिल जमी हुई है । सजल हमारे नयन मगर तू, मधुर मधुर मुस्कुरा रहा है । तेरी मधुर मुसकान से अपनी, अंतर्ज्योति जगी हुई है ॥ ये सब तुम्हारी मैहर है बाबा, कि अब भी महफिल जमी हुई है । साईं राम साईं राम ----------- कोई टिप्पणी नहीं: इसे ईमेल करें इसे ब्लॉग करें! Twitter पर शेयर करें Facebook पर शेयर करें Pinterest पर शेयर करें Labels: कीर्ति अनुराग , भोला भैया , MP3 , Prarthana , VNS Bhola शुक्रवार, मार्च 09, 2018 धुन : आते भी राम बोलो Dhun: aate bhi Ram bolo, jaate bhi Ram bolo Listen in the Voice of Shri VNS Bhola वृद्धि आस्तिक भाव की शुभ मंगल संचार । अभ्युदय सद्धर्म का राम नाम विस्तार ॥ (३) गुरु को करिए वंदना, भाव से बारम्बार । नाम सुनौका से किया, जिसने भव से पार ॥ कर्म धर्म का बोध दे, जिसने बताया राम । उसके चरण सरोज को, नतशिर हो प्रणाम ॥ वारे जाऊं संत के, जो देवे शुभ नाम । बांह पकड़ सुस्थिर करै, राम बतावे धाम ॥ श्री राम जय राम जय जय राम ॥ आते भी राम बोलो, जाते भी राम बोलो । सुबह और शाम बोलो, राम राम राम ॥ (२) राम राम राम, बोलो राम राम राम । राम राम राम, बोलो राम राम राम । बोलो राम राम राम, बोलो राम राम राम (२) आते भी राम बोलो, जाते भी राम बोलो । सुबह और शाम बोलो, राम राम राम ॥ मैंने अपने आप की, दे दी तुझको डोर । (३) आगे मर्ज़ी आपकी, ले जाओ जिस ओर ॥ (२) ले जाओ जिस ओर, ले जाओ जिस ओर ॥ आते भी राम बोलो, जाते भी राम बोलो । सुबह और शाम बोलो, राम राम राम ॥ (२) चिंतामणि हरि नाम है, सफल करे सब काम । (२) महा मंत्र मानो यह, राम राम श्री राम ॥ (२) बोलो राम, बोलो राम, बोलो राम राम राम । बोलो राम, बोलो राम, बोलो राम राम राम ॥ आते भी राम बोलो, जाते भी राम बोलो । सुबह और शाम बोलो, राम राम राम ॥ (२) राम राम राम, बोलो राम राम राम । राम राम राम, बोलो राम राम राम । बोलो राम राम राम, बोलो राम राम राम ॥ आते भी राम बोलो, जाते भी राम बोलो । सुबह और शाम बोलो, राम राम राम ॥ बोलो राम राम राम, बोलो राम राम राम । बोलो राम राम राम, बोलो राम राम राम ॥ कोई टिप्पणी नहीं: इसे ईमेल करें इसे ब्लॉग करें! Twitter पर शेयर करें Facebook पर शेयर करें Pinterest पर शेयर करें Labels: *राम , भोला भैया , श्री राम शरणम् , MP3 , Swami Shantananda अमृत वाणी Listen to Amritvani sung by Shri V N Shrivastav 'Bhola', Family and Friends सर्वशक्तिमते परमात्मने श्री रामाय नम: (७) (राम-कृपा अवतरण) परम कृपा सुरूप है, परम प्रभु श्री राम । जन पावन परमात्मा, परम पुरुष सुख धाम ।। १ ।। सुखदा है शुभा कृपा, शक्ति शान्ति स्वरूप । है ज्ञान आनन्द मयी, राम कृपा अनूप ।। २ ।। परम पुण्य प्रतीक है, परम ईश का नाम । तारक मंत्र शक्ति घर, बीजाक्षर है राम ।। ३ ।। साधक साधन साधिए, समझ सकल शुभ सार । वाचक वाच्य एक है, निश्चित धार विचार ।। ४ ।। मंत्रमय ही मानिए, इष्ट देव भगवान् । देवालय है राम का, राम शब्द गुण खान ।। ५ ।। राम नाम आराधिए, भीतर भर ये भाव । देव दया अवतरण का, धार चौगुना चाव ।। ६ ।। मन्त्र धारणा यों कर, विधि से ले कर नाम । जपिए निश्चय अचल से, शक्ति धाम श्री राम ।। ७ ।। यथा वृक्ष भी बीज से, जल रज ऋतु संयोग । पा कर, विकसे क्रम से, त्यों मन्त्र से योग ।। ८ ।। यथा शक्ति परमाणु में, विद्युत् कोष समान । है मन्त्र त्यों शक्तिमय, ऐसा रखिए ध्यान ।। ९ ।। ध्रुव धारणा धार यह, राधिए मन्त्र निधान । हरि-कृपा अवतरण का, पूर्ण रखिए ज्ञान ।। १० ।। आता खिड़की द्वार से, पवन तेज का पूर । है कृपा त्यों आ रही, करती दुर्गुण दूर ।। ११ ।। बटन दबाने से यथा, आती बिजली धार । नाम जाप प्रभाव से, त्यों कृपा अवतार ।।१२ ।। खोलते ही जल नल ज्यों, बहता वारि बहाव । जप से कृपा अवतरित हो, तथा सजग कर भाव ।। १३ ।। राम शब्द को ध्याइये, मन्त्र तारक मान । स्वशक्ति सत्ता जग करे, उपरि चक्र को यान ।। १४ ।। दशम द्वार से हो तभी, राम कृपा अवतार । ज्ञान शक्ति आनन्द सह, साम शक्ति संचार ।। १५ ।। देव दया स्वशक्ति का, सहस्र कमल में मिलाप । हो सत्पुरुष संयोग से, सर्व नष्ट हों पाप ।। १६ ।। (नमस्कार सप्तक) करता हूं मैं वन्दना, नत शिर बारम्बार । तुझे देव परमात्मन्, मंगल शिव शुभकार ।। १ ।। अंजलि पर मस्तक किये, विनय भक्ति के साथ । नमस्कार मेरा तुझे, होवे जग के नाथ ।। २ ।। दोनों कर को जोड़ कर, मस्तक घुटने टेक । तुझ को हो प्रणाम मम, शत शत कोटि अनेक ।। ३ ।। पाप-हरण मंगल-करण, चरण शरण का ध्यान । धार करूँ प्रणाम मैं, तुझ को शक्ति-निधान ।। ४ ।। भक्ति-भाव शुभ-भावना, मन में भर भरपूर । श्रद्धा से तुझ को नमूँ, मेरे राम हजूर ।। ५ ।। ज्योतिर्मय जगदीश हे, तेजोमय अपार । परम पुरुष पावन परम, तुझ को हो नमस्कार ।। ६ ।। सत्यज्ञान आनन्द के, परम धाम श्री राम । पुलकित हो मेरा तुझे होवे बहु प्रणाम ।। ७ ।। (प्रात: पाठ) परमात्मा श्री राम परम सत्य, प्रकाश रूप, परम ज्ञानानन्दस्वरूप, सर्वशक्तिमान्, एकैवाद्वितीय परमेश्वर, परम पुरुष, दयालु देवाधिदेव है, उसको बार-बार नमस्कार, नमस्कार, नमस्कार, नमस्कार ।। (अमृत वाणी) रामामृत पद पावन वाणी, राम नाम धुन सुधा समानी । पावन पाठ राम गुण ग्राम, राम राम जप राम ही राम ।।१ ।। परम सत्य परम विज्ञान, ज्योति-स्वरूप राम भगवान् । परमानन्द, सर्वशक्तिमान्, राम परम है राम महान् ।।२ ।। अमृत वाणी नाम उच्चारण, राम राम सुखसिद्धि-कारण । अमृत-वाणी अमृत श्री नाम, राम राम मुद मंगल-धाम ।।३ ।। अमृतरूप राम-गुण गान, अमृत-कथन राम व्याख्यान । अमृत-वचन राम की चर्चा, सुधा सम गीत राम की अर्चा ।।४ ।। अमृत मनन राम का जाप, राम राम प्रभु राम अलाप । अमृत चिन्तन राम का ध्यान, राम शब्द में शुचि समाधान ।।५ ।। अमृत रसना वही कहावे, राम राम जहाँ नाम सुहावे । अमृत कर्म नाम कमाई, राम राम परम सुखदाई ।।६ ।। अमृत राम नाम जो ही ध्यावे, अमृत पद सो ही जन पावे । राम नाम अमृत-रस सार, देता परम आनन्द अपार ।।७ ।। राम राम जप हे मना, अमृत वाणी मान । राम नाम में राम को, सदा विराजित जान ।।८ ।। राम नाम मुद मंगलकारी, विध्न हरे सब पातक हारी । राम नाम शुभ शकुन महान्, स्वस्ति शान्ति शिवकर कल्याण ।।९ ।। राम राम श्री राम विचार, मानिए उत्तम मंगलाचार । राम राम मन मुख से गाना, मानो मधुर मनोरथ पाना ।।१० ।। राम नाम जो जन मन लावे, उस में शुभ सभी बस जावे । जहां हो राम नाम धुन-नाद, भागें वहां से विषम विषाद ।।११ ।। राम नाम मन-तप्त बुझावे, सुधा रस सींच शांति ले आवे । राम राम जपिए कर भाव, सुविधा सुविधि बने बनाव ।।१२ ।। राम नाम सिमरो सदा, अतिशय मंगल मूल । विषम-विकट संकट हरण, कारक सब अनुकूल ।।१३ ।। जपना राम राम है सुकृत, राम नाम है नाशक दुष्कृत । सिमरे राम राम ही जो जन, उसका हो शुचितर तन मन ।।१४ ।। जिसमें राम नाम शुभ जागे, उस के पाप ताप सब भागे । मन से राम नाम जो उच्चारे, उस के भागें भ्रम भय सारे ।।१५ ।। जिस में बस जाय राम सुनाम, होवे वह जन पूर्णकाम । चित्त में राम राम जो सिमरे, निश्चय भव सागर से तरे ।।१६ ।। राम सिमरन होवे सहाई, राम सिमरन है सुखदाई । राम सिमरन सब से ऊंचा, राम शक्ति सुख ज्ञान समूचा ।।१७ ।। राम राम ही सिमर मन, राम राम श्री राम । राम राम श्री राम भज, राम राम हरि-नाम ।।१८ ।। मात-पिता बान्धव सुत दारा, धन जन साजन सखा प्यारा । अन्त काल दे सके न सहारा, राम नाम तेरा तारन हारा ।।१९ ।। सिमरन राम नाम है संगी, सखा स्नेही सुहृद् शुभ अंगी । युग युग का है राम सहेला, राम भक्त नहीं रहे अकेला ।।२० ।। निर्जन वन विपद् हो घोर, निबड़ निशा तम सब ओर । जोत जब राम नाम की जगे, संकट सर्व सहज से भगे ।।२१ ।। बाधा बड़ी विषम जब आवे, वैर विरोध विघ्न बढ़ जावे । राम नाम जपिए सुख दाता, सच्चा साथी ...
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